Wednesday, February 18, 2015

शोर कितना भी हो शहर मेँ,
मुझे तेरी आवाज़ सुनाई पड़ती है,
धुंध कितनी भी हो शहर में
मुझे तुम दिखाई देती हो,
मैं आया हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए
इस शहर में
तुम्हे पाकर इस शहर से
एक ऐसे शहर में लेके जाऊँगा
जहाँ न शोर होगा
न धुंध होगी
सिर्फ मैं और तुम होंगे
और साथ में एक नया शहर होगा
वही अपना नया घर होग.

Tuesday, April 12, 2011

aahat

जब से तेरे आने की आहट सुनी है,
   दिन तो कट जाता,
   पर शाम गुजरती है,
       यूँ ही ख्यालों में ,
 हर रोज नई तस्वीर बनाता हूँ ,
   दिवार पे उसे सजाता हूँ 
   जाने कौन सी वो तस्वीर होगी
 जिस पे और भी रंग लगाये जायेंगे....

Sunday, February 13, 2011

उनकी झील सी आँखों को जब से देखा है ,
  दिल चाहता है उस पार तैर कर जाना ,
पर डर लगता है तूफानों के लहरों से
 जो किस्ती को डुबो देतें हैं !

ek baat

एक बात मेरे मन में था 
    जिसे सोच मैं उलझन में था 
   न बातें ये होती 
ना उलझन ये होता 
   न दिल मेरा रोता 
    ना आँखें ये रोती

Saturday, October 2, 2010

WO SHAM :: THAT EVENING

हाय ! वो शाम 
   जो थे उनके नाम
   देखता था कभी उनको
  आते जाते नज़रों से
   नज़रो से नज़र भी मील जाती थी 
      अब नज़रो से नज़र नहीं मिलती
       हम फिर भी उन्हें देखते है
    वो दूर है हम से 
    तो क्या हुआ
   उन्हें दिल में बसाकर रखते हैं
जब भी आती है, उनकी याद
 हाय ! वो शाम याद कर लेते हैं
      जहाँ मैं था
        वो थीं 
       और सपनो के मेले थे
हाय ! वो शाम
 जो थे उनके नाम ......




 

Wednesday, August 4, 2010

EK RASTAA

मैं चला था जिस रस्ते पे
  उस रस्ते पे चलना छोड़ दिया
चल पड़ा मैं दुसरे रस्ते की ओर
जिसपे
फूल ही फूल नज़र आ रहे थे
कुछ दूर चला तो
पैरो में कांटे चुभने लगे
भूल गया था शायद
फूल तक पहुँचने के लिए
 काँटों से गुजरना पड़ता है
अब बिच रस्ते में फँस गया
आगे बढ़ना तो मुमकिन था
पर पीछे लौटने की मेरी फितरत नहीं
कोशिश तो करूंगा
उसी रस्ते पर आगे बढ़ने का
 अब
 रस्ते बदलने की हिम्मत नहीं होती
क्योंकि अब मेरी
पैर ही नहीं मेरी रूह भी दर्द
 से कांपती है
अब रास्ता जो बदला
तो शायद वो मेरी आखरी रह होगी