Saturday, October 2, 2010

WO SHAM :: THAT EVENING

हाय ! वो शाम 
   जो थे उनके नाम
   देखता था कभी उनको
  आते जाते नज़रों से
   नज़रो से नज़र भी मील जाती थी 
      अब नज़रो से नज़र नहीं मिलती
       हम फिर भी उन्हें देखते है
    वो दूर है हम से 
    तो क्या हुआ
   उन्हें दिल में बसाकर रखते हैं
जब भी आती है, उनकी याद
 हाय ! वो शाम याद कर लेते हैं
      जहाँ मैं था
        वो थीं 
       और सपनो के मेले थे
हाय ! वो शाम
 जो थे उनके नाम ......