Sunday, July 18, 2010

uljhan :: confusion

एक उलझन
जो मेरे मन में है
जिसे मैं  सुलझा नहीं पा रहा हूँ
एक उलझन
जो मेरे घर में है
जिसे मैं दूर नहीं कर पा रहा हूँ
एक उलझन जो
मेरे दिल में है 
जिसे मैं ब्याँ नहीं  कर पा रहा हूँ
एक उलझन
जो मेरे चेहरे पर है
जिसे मैं छुपा नहीं पा रहा हूँ 
सारी उलझनों कि जड़ है
 एक उलझन
जिसे  मैं जन कर भी
उलझता जा रहा हूँ
चाहता हूँ दूर करना
इस उलझन को
पर न जाने क्यों
मैं कुढ़ को ही
समझ नहीं पा रहा हूँ |  

main kaun hoon : : who am i ?

मैं कौन हूँ,
मैं ख़ुद जनता नहीं,
मानव हूँ , या 
मानव के रूप में दानव हूँ ,
मैं ये हूँ , मैं वो हूँ,
मैं सच हूँ या झूठ हूँ ,
मैं हूँ तो क्यों हूँ ,
मेरा वजूद क्या है 
क्या करना है मुझको 
और क्या कर रहा हूँ
बोलता कुछ और 
करता कुछ और हूँ
आँखें हैं पर
दिखाई नहीं देता
कान है पर
सुनाई नहीं देता
कहता हूँ पर
सच्चाई नहीं होता
सच तो ये है कि
मैं अपने आप को
पहचानता नहीं हूँ
मैं कौन हूँ
मैं ख़ुद जनता नहीं !
m