Wednesday, February 18, 2015

शोर कितना भी हो शहर मेँ,
मुझे तेरी आवाज़ सुनाई पड़ती है,
धुंध कितनी भी हो शहर में
मुझे तुम दिखाई देती हो,
मैं आया हूँ सिर्फ तुम्हारे लिए
इस शहर में
तुम्हे पाकर इस शहर से
एक ऐसे शहर में लेके जाऊँगा
जहाँ न शोर होगा
न धुंध होगी
सिर्फ मैं और तुम होंगे
और साथ में एक नया शहर होगा
वही अपना नया घर होग.

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